सर्दियों का मौसम याने सेहत बनाने का मौसम। आयुर्वेद तो कहता है की, अच्छी सेहत बनाने के लिए कुदरत ही हमें खुदसे मदत करती है | इसमें, बल का अर्थ ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता’ ही है, जिसमें न केवल शारीरिक प्रतिरक्षा बल्कि मानसिक और सामाजिक प्रतिरक्षा भी शामिल है। इम्युनिटी का एक प्रकार – मौसमी (कालज) बल, यह भी बताया गया है | ठंड के मौसम में पाचन क्रिया मजबूत होने के कारण अपनी इम्युनिटी बढ़ाने का एक अच्छा समय होता है। लोग प्राकृतिक रूप से ही अधिक भूख महसूस करते हैं और अधिक पचाते हैं, जो उनके शरीर का पोषण करता हैं और बल बढाता हैं।
आयुर्वेद, 5 हजार साल पुरानी पद्धति है, जिसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जानेवाली जड़ी बूटियों का वर्णन किया हैं, जो हमारे घर की रसोई मे भी पाई जाती हैं | इम्युनिटी के बढ़ने से ना केवल कोरोना वायरस जैसी महामारी से खुद को बचाया जा सकता है, बल्कि कई अन्य तरह के घातक वायरस से भी बचाव होता है।
कोरोना जैसे वायरस से खुद को बचाने के लिए हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके अपना रहे हैं, लेकिन कई अध्ययनों से ये भी पता चला है कि अब ये हवा में भी मौजूद है। ऐसे में अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ही हम इससे जीत सकते हैं। इसके लिए हम कई तरह की जड़ी बूटियां और वनस्पतियो का भी हमारे दैनिक जीवन में उपयोग कर सकते है |
रोगप्रतिरोधी क्षमता कम होने के कारण
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी मे जंक फ़ूड, पिज़्ज़ा, कोल्डड्रिंक्स जैसे अस्वास्थ्यकर आहार, अधूरी नींद, व्यायाम का अभाव और मानसिक तणाव तो रोजाना की आदत हो गयी है | यही तो रोगप्रतिरोधी क्षमता कम होने की असली वजह हैं | इन्हीं कारणों के वजह से बार बार सर्दी खांसी होना, लगातार थकान, लगातार जीवाणु, विषाणु के संक्रमण से बुखार, गले में खराश, बदन दर्द, जोड़ों का दर्द, पेट की समस्या जैसे बीमारियाँ दिखाई देने लगते है| यही तो रोगप्रतिरोधी शक्ती कम होने के भी लक्षण हैं | लेकिन जीने के लिए दौड़ मैं भागना तो पड़ेगा |
आयुर्वेद का खजाना आपकी रसोई में
- तुलसी, इलायची, मुलेठी – श्वसन प्रणाली को मजबूत बनानेवाली वनस्पतियाँ हैं जो बार बार होनेवाली खांसी, सर्दी या श्वास से संबंधित कष्ट को दूर करती है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार इन जड़ी बूटियों मे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल,एंटी इंफ्लेमेटरी गुणधर्म हैं जो कोरोना जैसे विषाणुओं के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करते है|
- अदरक, काली मिर्च एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरी होती है | जो सर्दी, सरदर्द को शांत करने, छाती में हुए कफ के जमाव को कम करने और बंद नाक को खोलने में बहुत ही लाभदायी हैं।
- हरितकी जिसे हरड़ के नाम से भी जाना जाता हैं, हिमालय के निचले क्षेत्रों में पाई जाने वाली हरितकी को भारत में जड़ी बूटियों की माँ का दर्जा दिया गया है। यह अपचन, पेट फूलना, गैसें, पाचनतंत्र को सुधारने , तथा टॉक्सिन्स को निकालकर, शरीर को ऊर्जावान रखने एवं थकान को दूर करने मैं सर्वश्रेष्ठ हैं |
- आमला , द्राक्षा, यह Vitamin C का प्रमुख स्त्रोत है| इसके एंटी ऑक्सीडेंट शक्ति से रोगप्रतिरोधी शक्ती दो गुना ज्यादा बढ़ती है | आमला की एंटी एजिंग याने बुढ़ापे को रोकनेवाले घटक आपके शरीर की पेशियों को नए से बनाने मैं मदद करते है | जिससे आपकी उम्र और त्वचा दोनों भी युवा और ऊर्जावान होते हैं |
- अश्वगंधा को सर्वश्रेष्ठ प्रकार की औषधीय जड़ी बूटी माना जाता हैं, भारत, मध्य पूर्व और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाई जाने वाली अश्वगंधा एक सदाबहार झाड़ी है, जिसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में हजारों वर्षों से किया जाता रहा है | इसके सेवन से मनुष्य में सातों धातुओं का वर्धन होता है, विशेषत: मांसपेशियों की वृद्धि और मजबूती , अच्छी नींद , तथा मानसिक तणाव को कम करता हैं |
राजस्थान औषधालय की इम्युनोबूस्ट सिरप मे भी उपरोक्त सभी जड़ीबूटियों का मिलाप किया गया है जो आपको नैचुरली ऊर्जा एवं रोग प्रतिरोधी शक्ति (इम्युनिटी) प्रदान करता हैं |
इसके साथ ही अच्छी नींद, योग्य व्यायाम, योग और तान तणाव से दूर रहना यह भी इम्युनिटी बढाने के लिए बेहद जरुरी हैं |
तो इन सर्दियों के मौसम मे ऊपर बताये गए वनस्पतियों का आपके आहार मे जरूर समावेश कीजिए और आपकी रोगप्रतिरोधी शक्ति अंदर से बढ़ाइए |