Varsha Rutucharya – Ayurvedic Diet and Lifestyle for Rainy Season
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varsha rutucharya ayurvedic diet
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आयुर्वेद उत्पन्न होने के मुख्यत: दो प्रयोजन है –

१. स्वस्थ व्यक्ति का स्वास्थ्य रक्षण

२. बिमारियों के लिए  चिकित्सा उपचार

‘स्वस्थ्यस्य स्वास्थ्य रक्षाणाम’ इस  पहले प्रयोजन के लिए आयुर्वेद ने दिनचर्या, ऋतुचर्या और स्वस्थवृत्त जैसे नियमों को बताया गया है | जिनका पालन करने से मौसम के बदलाव से होनेवाली बीमारियों को भी हम दूर रख सकते है |

इस लेख मे ऋतुचर्या (‘रितु’ का अर्थ है मौसम और ‘चर्या ‘ का अर्थ है पालन करना) इस विषय के बारे मे बात करेंगे |  यह  एक आयुर्वेदिक सिद्धांत है जिसमें जीवन जीने का तरीका और आयुर्वेदिक आहार तथा दिनचर्या शामिल है। इसमें आयुर्वेदिक विशेषज्ञोंने मौसमी परिवर्तनों के अनुसार शरीर मे होनेवाले आतंरिक और मानसिक प्रभावों का अध्ययन करके कुछ नियम बताए  है। जो ऋतुचर्या के साथ, हमारे जीवन में बदलते मौसम के कारण होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए तथा स्वस्थ रहने के लिए मार्गदर्शन करते है | एक व्यक्ति को अपनी शारीरिक शक्ति और मानसिक क्षमता को बढ़ाने के लिए यह नियम लाभदायी हैं ।

वर्षा ऋतु: यह ऋतु मध्य जुलाई से मध्य सितंबर तक आती है। इस ऋतु का नाम वर्षा ऋतु है क्योंकि वर्षा का अर्थ है जो बरसती है। बारिश और आसमान में छाए हुए बादलों का मौसम यानी वर्षा ऋतु ।

आयुर्वेद के अनुसार दक्षिणायन (Southeren solistice ) इस काल के विभाग में वर्षा ऋतु आती है |

हिंदू कैलेंडर के श्रावण और भाद्रपद महीने (मध्य जुलाई से मध्य सितंबर लगभग) वर्षा ऋतु के रूप में माने जाते हैं। इस मौसम में आसमान बादलों से ढका रहता है और बारिश होती है। तालाब, नदियाँ आदि पानी से भर जाते हैं। वर्षा ऋतु में वात दोष का प्रकोप  होता है और पित्त दोष का संचय होता है। बरसात के मौसम में अग्नि (पाचन अग्नि) कमजोर होती है और दोषों से दूषित हो जाती है। इसलिए खान-पान और जीवनशैली ऐसी होनी चाहिए जो वात और पित्त को संतुलित करने में मदद करे।

वर्षा ऋतु (वर्षा ऋतु) में आहार:

बारीश के दौरान जलाशयों में उपलब्ध पानी तुलनात्मक रूप से पचने में भारी होता है और इस अवधि के दौरान चयापचय कम होता है। एक व्यक्ति को भूख कम लगने की संभावना हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए अपने आहार में निम्नलिखित बदलाव करने की आवश्यकता है:

  • जौ, चावल और गेहूं से बने हल्के और ताजे खाद्य पदार्थों का सेवन करें
  • दैनिक आहार में गाय का घी, कम चर्बी वाला मांस, मसूर की दाल, मूंग, चावल और गेहूं शामिल करें।
  • गर्म या उबाला हुआ पानी पिए, क्योंकी बारिश मे दूषित पानी के वजह से बीमारियाँ होने की संभावना होती हैं |
  • प्रत्येक भोजन से पहले अदरक के छोटे टुकड़े को सेंधा नमक के साथ सेवन करें।
  • सब्जियों का खट्टा और नमकीन सूप लें।
  •  गर्म खाना खाएं और बिना पके भोजन और सलाद खाने से बचें
  • बासी भोजन के सेवन से परहेज करें।
  • बारीश के दौरान पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करें।
  • दही, रेड मीट और किसी भी खाद्य पदार्थ से बचें, जो पचने में अधिक समय लेता है। दही की जगह छाछ ले सकते हैं।
  • भावप्रकाश में कहा गया है कि बारिश के मौसम में हरीतकी (टर्मिनलिया चेबुला) का सेवन सैंधव लवण  (सेंधा नमक) के साथ करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

जीवन शैली वर्षा ऋतु (वर्षा ऋतु):

जब तक एक स्वस्थ जीवन शैली का समर्थन नहीं किया जाता है, केवल स्वस्थ आहार लेने से वांछित लाभ नहीं मिल सकता है। बारिश के मौसम में व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में जो महत्वपूर्ण बदलाव करने चाहिए वे हैं:

  • दिन में सोने से बचें क्योंकि यह पाचन को प्रभावित करता है और चयापचय को धीमा कर देता है
  • अधिक परिश्रम और धूप के संपर्क में आने से बचें। दोपहर की धूप में बाहर निकलने से बचें।
  • आसपास हमेशा सूखा और साफ रखें। आसपास पानी जमा न होने दें।
  •  गीले बालों और गीले कपड़ों के साथ वातानुकूलित कमरे में प्रवेश न करें।
  • बरसात के मौसम में गंदे पानी में चलने से बचें। अपने पैरों को सूखा रखें।
  • बारिश में भीगने से बचें। यदि आप भीग जाते हैं, तो जल्द से जल्द सूखे कपड़े बदल लें ताकि संक्रमण से बचा जा सके क्योंकि इस मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

आयुर्वेद कहता है कि जब मौसम बदल रहा होता है तो हर व्यक्ति को उस विशेष मौसम के अनुरूप अपनी जीवनशैली और आहार में बदलाव करना चाहिए, यह  परिवर्तन 15 दिनों की अवधि में धीरे-धीरे करना चाहिए। धीरे-धीरे शुरुआती जीवनशैली को छोड़कर नई जीवनशैली अपनाने की कोशिश करें।

आयुर्वेद के अनुसार, वर्षा ऋतु मे वात दोष बढ़ता है और इसे शांत करने के लिए पंचकर्म याने शरीर शुद्धी के लिए, मुख्य रूप से बस्ती, अभ्यंग, स्टीम थेरपी, नस्य  चिकित्सा, लेने की सलाह दी हैं।

बारिश के मौसम मे वात बढ़ता है और पित्त दोष के संचय के कारण हमारे शरीर में कई बीमारियाँ हो सकती हैं। वात और पित्त दोष का असंतुलन वर्षा ऋतु (बरसात के मौसम) के दौरान होने वाली विभिन्न बीमारियों का प्रमुख कारण है।

बारिश के मौसम में होनेवाली सामान्य बीमारियाँ –

 सर्दी और फ्लू-

मौसम में होनेवाले अचानक बदलाव के कारण तापमान में उतार-चढ़ाव होता है, जो बारिश के दौरान फ्लू और सर्दी का प्रमुख कारण है। बरसात के मौसम में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और खांसी, सर्दी और फ्लू आसानी से हो जाती हैं। कुछ लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, छींक आना, नाक बहना और नाक बंद होना आदि भी  शामिल हैं।

इस सर्दी, खांसी को दूर करने के लिए, तुलसी, मुलेठी, अडूलसा, शुंठी जैसी आयुर्वेदिक जड़ीबूटियां उपयोगी हैं |  इन्हीं जड़ीबूटियों को मिलाकर राजस्थान औषधालय ने  Tus herab cough syrup and Tus herab tablet का निर्माण किया हैं जो बारिश मे होनेवाली सर्दी, खांसी और श्वसन तंत्र की बीमारियों मे तुरंत आराम देती हैं |

 बुखार-

बरसात के मौसम में वायरस के संक्रमण से आनेवाला बुखार एक आम लक्षण रहा है, जो 3 से 7 दिनों तक रहता है, हालांकि, किसी भी चीज़ का निदान करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा अच्छा होता है। इसीतरह टाइफाइड, मलेरिआ, डेंगू आदि कारणों के वजह से भी बुखार आ सकता हैं | वर्षा ऋतु में मलेरिया रोग के मामले बढ़ जाते हैं क्योंकि कई क्षेत्रों में पानी जमा होने की समस्या होती है। और ऐसे पानी मे मछरों की पैदाइश बहुत ज्यादा होती है |

राजस्थान औषधालय के कैप्सूल फेब्रीफ़ीट (Febrifit Capsule), प्लेट प्लस सिरप और कैप्सूल (Plate Plus syrup and Plate Plus capsule) ऐसी बीमारियों मे बहुत ही लाभदायी हैं |  कोई भी दवाई लेने से पहले चिकित्सक की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है |

दस्त

बरसात के मौसम में दस्त (अतिसार) सबसे आम स्वास्थ्य शिकायतों में से एक है। गंदे भोजन और पानी के सेवन से डायरिया हो सकता है।

इसमें पतला पानी जैसा मल, पेट दर्द, ऐंठन, मतली और बुखार आदि लक्षण दिखते हैं |

ऐसी बीमारियों से बचने के लिए, ऊपर बताए हुए  आहार और जीवनशैली का पालन करें | अगर बीमारी के कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत अपने स्वास्थ्य चिकित्सक से सलाह ले |ऐसी बीमारियों से लड़ने के लिए  इम्युनिटी को बढ़ाना भी बहुत जरुरी हैं |  राजस्थान औषधालय की इम्म्यूनोबूस्ट सिरप (Immunoboost syrup) और रेप्लांजा सिरप और कैप्सूल (Replanza Syrup and Replanza Capsule), विशेष रूप से इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ही तैयार की गयी आयुर्वेदिक औषधियां हैं, जो आपको लगातार होनेवाले सर्दी, खांसी और फ्लू जैसी मौसम के कारन होनेवाली बीमारियों मे लाभदायी हैं | अपने चिकित्सक की सलाह से इन आयुर्वेदिक औषधियों को आप अपने जीवन का हिस्सा बना सकते हैं |

“Rainy days should be spent at home with a cup of tea and a good book.” ~Bill Watterson

तो आपके बारिश के दिन बीमारियों के साथ नहीं , गर्म चाय और किताबों के साथ बिताइए |

Author

  • Dr. Shital Gosavi

    Dr. Shital Gosavi, is an M.D Ayurveda is not just Medical Practitioner but also a health coach. She is practicing Ayurveda & Panchakarma since last 10 years. Her deep understanding of traditional practices such as Ayurveda, Yoga & Garbha Sanskar coupled with modern dietetics and nutrition helped thousands of patients to bring a holistic change in their life. These articles are based on her clinical experiences.

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